वर्ष १९४८ में श्री गंगानगर में चतुर्मास साध्वी श्री अमितगुणा पुर्णप्रज्ञा श्री जी का आगमन हुआ। साध्वी श्री व श्री श्यामलाल के बीच में महिलाओ को परिशिक्षण हेतु चर्चा हुई। जिन्होंने श्री गंगानगर में कन्या महाविधालय की कमी को महसूस किया। इस पर साध्वी श्री ने पूछा की कितना खर्चा लग जायेगा जिस पर ५ बीघा जमीन व २० लाख खर्चे का अनुमान लगाया गया। इस पर साध्वी श्री ने गुरु जंडियाला आचार्य नित्यानंद से आशीर्वाद लेकर आने का कथन किया जिस पर साध्वी श्री एवं श्याम लाल जी जंडियाला आचार्य जी के पास गए। तथा उनसे वार्ता की उनके द्वारा आशीर्वाद दिया गया की आप प्रोजेक्ट की शुरुआत करो बाकी में अपने आप संभाल लूंगा। भैया दूज के दिन इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई।
जिस हेतु भूमि श्री मदनचंद बोर्ड द्वारा दी गई तथा १० कमरो के लिए समाज ने उसी समय हाँ कर दी। बोर्ड परिवार की भूमि जो शहर से काफी दूर थी तथा शहर के नजदीक भूमि महंगी होने के कारण खरीदना संभव नई था। जिस पर अमरचंद बोर्ड आचार्य श्री को मना करने क लिए झुंझनू पहुंचे। आचार्य जी ने कहा आप जाओ सब तैयारियां पूर्ण हो जाएगी। इस कार्य के लिए सिर्फ २० दिन थे गुरुओ के पूर्ण और प्रताप से दिनाक २० मई २००० को भवन का लोकापर्ण हुआ। संगमरमर का मंदिर भी बन गया अब कॉलेज शुरू करने की बात आई तो डिपाजिट करने के लिए कुछ भी नही था जिस पर आचार्य श्री जो उस समय अम्बाला में विराजमान थे जिस पर उनसे फ़ोन पर बात हुई जिस से उन्होंने २४ घंटे में राशि का इंतज़ाम करा दिया।
आचार्य श्री चातुर्मास कर रहे थे मद्रास में पूछा की विधालय में क्या कमी है। उस समय पुस्तकालय की कमी होना बताया गया। जिस पर उनके एक भक्त जिन्होंने कभी गंगानगर नई देखा था जिनका नाम श्री भगवन दस है उन्होंने तुरंत पुस्तकालय राशि भिजवा दी। राजस्थान में महिलाओ का ये पहला एम बी ऐ महाविधालय १ जनवरी २००१ को शुरू हुआ
©SAVJGC 2019. Designed by Tarun Nagpal